जिंदगी के कुछ पन्ने जो रह गए बिन गढ़े,
सीखो लेखन का हर सलीक़ा, किताबों से।
दबी है कुछ कर गुजरने की आग गर सीने में,
जानों कथन का नया तरीका, किताबों से।
मोबाइल की अति बनी अभिशाप मनुष्य की,
बदल दो भटकाव का ये जंजाल, किताबों से।
सोशल मीडिया करता भस्म समय कीमती,
रोको भस्मासुर का परचम लहराना, किताबों से
ज्ञान है इक आधार जो बदल दे हर हालात,
करो अर्जित इल्म का खज़ाना, किताबों से।
जागो, पढ़ो, बढ़ो, करो हांसिल हर मंज़िल,
लिखो सफलता का अफसाना, किताबों से।
प्रदीप चौहान