मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

घर घर पानी अब लेके रहेंगे : प्रदीप चौहान

Water problem in slum
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में पीने के पानी की समस्या वहाँ की सबसे बड़ी समस्या है। यहां युवाओं का झुंड आंदोलित है इस मांग को लेकर की उन्हें भी पीने का पानी मिले, भीख की तरह न मिलकर सम्मान पूर्वक मिले। आंदोलन से सबको जोड़ने, जागरूक करने और एकजुट करने के आहवान के रूप में गाया जाने वाला गीत रूपी कविता।

लड़ेंगे, जीतेंगे, डटे रहेंगे
घर घर पानी अब लेके रहेंगे

अब कोई माँ नहीं टंकी ढोएगी
अब कोई बहन नही टेंकर पे रोयेगी

आओ रे दोस्तो, आओ रे भाई
घर घर पानी की मांग है लड़ाई

अब किसी पिता की जाए ना नौकरी
अब किसी भाई की छुटे ना पढ़ाई

हक और सम्मान की है ये लड़ाई
घर घर पानी की मांग है लड़ाई

अब कोई जवां नही ढोएगा झंडा
अब कोई दोस्त नहीं खायेगा डंडा

जो मेरा हाल है, वो ही तेरा रे भाई
भूल आपसी मतभेद, चलो करो रे चढ़ाई

आओ रे आओ, जमीर को बचाओ
आओ रे आओ, सम्मान ना गँवाओ

माताओं के ये सम्मान की लड़ाई
बहनों के राखी के कर्ज की चुकाई

पिता के पगड़ी की लाज हम बचाएं
नासूर भये हालातों में बदलाव हम लाएं

आओ रे दोस्तों आओ रे भाई
घर घर पानी की मांग है लड़ाई

लड़ेंगे, जीतेंगे, डटे रहेंगे
घर घर पानी अब लेके रहेंगे

प्रदीप चौहान

2 टिप्‍पणियां:

Kavi Pradeep Chauhan