पिता पर पेट की ज़िम्मेदारी
माँ पर भविष्य की ठेकेदारी
रुक भरें पानी तो बेरोज़गारी की मार
स्कूलों से ऊंचा तेरे पानी का ताड़
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।
कहीं पानी की भरमार
तो कहीं सूखे से हाहाकार
दोहरे बर्ताव से विलुप्त मेरी शिक्षा
क्या मेरी बस्ती है मुल्तान
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।
सुना है आंदोलन से तू आया
विकास का जिन था तुझमे समाया
दियेे दिल्ली की सत्ता में तुझे सम्मान
पर लाकर टैंकर की गंदी राजनीति
कर रहा आम जनता का अपमान
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।
किस काम के तेरे गगनचुम्बी स्कूली ताज
मैं कल को सवारूँ या बचाऊं मेरा आज
दिए प्रलोभन मुफ्त होगा लिटर बीसों हजार
मेरी बस्तिया झेल रहीं बून्द बून्द की मार
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।
Supper, you are getting better every time
जवाब देंहटाएंNice one
जवाब देंहटाएंBadiya sir.... Badiya
जवाब देंहटाएंOutstanding....
जवाब देंहटाएंsupar se bhi uper........
जवाब देंहटाएंeee kavita garda uda delbani
जवाब देंहटाएंNICE POEM SIR
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