poetry on social issue in hindi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
poetry on social issue in hindi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ ? : प्रदीप चौहान

दिल्ली की सत्ता पे काबिज़ सरकार के द्वारा घर घर पीने का पानी देने में असफलता के कारण हजारों बच्चों की पढ़ाई व स्कूल तक छूट जाते हैं। उन बच्चों के कुछ प्रश्नों के द्वारा स्लम कॉलोनियों में बच्चों के शिक्षा पर पड़ रहे प्रभाव को इस कविता के जरिये बयां करने की कोशिश की गई है।
Water Problems in Slum

पिता पर पेट की ज़िम्मेदारी
माँ पर भविष्य की ठेकेदारी
रुक भरें पानी तो बेरोज़गारी की मार
स्कूलों से ऊंचा तेरे पानी का ताड़
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।

कहीं पानी की भरमार
तो कहीं सूखे से हाहाकार
दोहरे बर्ताव से विलुप्त मेरी शिक्षा
क्या मेरी बस्ती है मुल्तान
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।

सुना है आंदोलन से तू आया
विकास का जिन था तुझमे समाया
दियेे दिल्ली की सत्ता में तुझे सम्मान
पर लाकर टैंकर की गंदी राजनीति
कर रहा आम जनता का अपमान
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।

किस काम के तेरे गगनचुम्बी स्कूली ताज
मैं कल को सवारूँ या बचाऊं मेरा आज
दिए प्रलोभन मुफ्त होगा लिटर बीसों हजार
मेरी बस्तिया झेल रहीं बून्द बून्द की मार
बता ये दिल्ली के सुल्तान
पढ़ाई करूँ या मैं पानी भरूँ।

Kavi Pradeep Chauhan