शुक्रवार, 31 मार्च 2023

अब कफ़न निकलेगा: प्रदीप चौहान

मेरे दुश्मन तू मुझ में से कब निकलेगा,
रोम रोम बसा अब ज़हर कब निकलेगा।
खत्म होने की कगार पर है मेरी पहचान,
अब निकल वर्ना मेरा कफ़न निकलेगा।

प्रदीप चौहान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Kavi Pradeep Chauhan