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शुक्रवार, 15 जून 2018

मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं: प्रदीप चौहान

आज हमारे देश में बेरोज़गारी एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। नौजवानों की बहुत बड़ी तादाद बेरोज़गार होती जा रही है। नौजवानों के हालात को ईस कविता के ज़रिये बयां करने की कोशिश की गयी है।
Pradeep Chauhan



मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

इनमें मोहम्मद रफ़ी
इनमें छिपा गुलज़ार है
हज़ारों प्रतिभायें इनमें पर बेकार हैं
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

हर क्षेत्र मे ख़त्म हो रही नोकरियाँ
भविष्य में  इनके अंधकार है
राज्य द्वारा पड़ी सबसे बड़ी ये मार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

ख़ालीपन ख़ुशियों को खा रहा
जवाँ पीढ़ी अवसाद में जा रहा
नशे की लत वालों मे हो रहे ये शुमार हैं
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

फ़ेसबुक रचनात्मक कामों से रोकता
वॉटसअप जीवंत समय को सोखता
चढ़ाया जा रहा शोशल मिडीया का बुखार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

जलाई जा रही धर्म की चिंगारी दिलो में
लगाई जा रही हिनदुतव की आग सिनों में
ईस भषमासुर से ईनका नहीं कोई सरोकार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

चुनाव में इनको भुनाया जा रहा
चंद पैसों के लिये नचाया जा रहा
लाचारी ईनकी वोट बैंक बाज़ार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

राज्य परिस्थिति को नहीं अांक रहा
कि जवाँ मस्तिष्क धुल आज फाँक रहा
भावी आंखों में इनके ग़ुस्से का अंगार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

बेरोज़गारी बढ़ते देना कुटनिति है
औरों के फ़ायदे की ये राजनीति है
विकराल हो रहा शोषण दमन का आकार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

पर वक़्त आ रहा कि ये जाग जायेंगे 
हालातों का ज़िम्मेदार कौन पहचान पायेंगे
चल पड़ेंगे सब क्रान्ति की राह पर
और सत्ता अपने हॉथ में लायेंगे।

युवा समझ रहा कया उपचार है
कि सत्ता पर क़ब्ज़े की दरकार है
क्रान्ति ही ईसका बस उपचार है
मेरे देश के नौजवां बेरोज़गार हैं।

प्रदीप चौहान

Kavi Pradeep Chauhan