याद है वो कठिन समय जब
पापा या मम्मी का विकल्प था आया
पापा संग कोई नहीं रहेगा
सुन बिटिया ने मम्मी से हाथ छुड़ाया
लिपट के बोली पापा मैं आपके साथ रहूंगा
नन्ही की समझदारी देख आंख था भर आया।
उस रात बेटी नही सो पायी थी
चिंतित चेहरा, नम आंखें,
लबों पे न मुस्कान लाई थी
लिपट-लिपट कर चेहरा देखती
नींद न आने की व्यथा सुनाई थी।
"क्या मम्मी कभी नही आएगी?"
थर्राते लबों पे जब ये प्रश्न वो लाई थी
दिल पसीज गया आंखें भर आयी
लगाया गले प्यार से समझाया
बहला फुसला उसको था सुलाया।
उस दिन था बात ये समझ आया
बच्चों के बेहतर परवरिश के लिए
माता -पिता का साथ सबसे जरूरी
बेटी ने ये एहसास दिलाया।
हर माँ-पिता को कसम ये खाना होगा
छोटे छोटे झगड़ो को मिलकर सुलझाना होगा
बच्चों के भविष्य पर न पड़े कोई गलत प्रभाव
बेहतर खुशहाल परवरिश का माहौल बनाना होगा।
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