बुधवार, 6 जनवरी 2021

चेतावनी : रोशन सिंह



*चेतावनी*

बादलों बरस लो, चाहे तुम जितना!

शीतलहर तुम बरसाओ कहर, चाहे जितना!

चाहे, कर लो तुम भी सत्ता के साथ मिलीभगत!

नहीं, डिगा पाओगे हमारे हौसले!

हम तो वो फौलाद हैं,
जो बंजर और पथरीली ज़मीन का सीना चीर देते हैं,

जो तुम्हारी बरसात और शीतलहर कभी नहीं कर पाते,

उस बंजर ज़मीन से भी अपनी मेहनत का हक़ छीन लेते हैं!

इसलिये तुम्हें चेतावनी है!

मान जाओ!

लौट जाओ!

हम तो डटे हैं अनंत काल से,

और डटे रहेंगे अनंत काल तक,

यह हमारा वादा है तुमसे!

तुमने तो हमें परखा है!

खेतों में सालों-साल,

खलिहानों में, सालों-साल,

हमने ही चुनौती दी है तुम्हें, सालों-साल,

हमने ही तुम्हें हराया है, सालों-साल,

जानते हो क्यों?

अरे! तम्हें क्या बताना?

फिर भी, हम किसान हैं!

हम धरती की सबसे जीवट जात हैं!

रोशन सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Kavi Pradeep Chauhan