मंगलवार, 3 मई 2022

इस्तेमाल : प्रदीप चौहान

हर कोई खड़ा अपना काम करवाने के लिए 
कर इस्तेमाल स्वयं ऊपर चढ़ जाने के लिए।

हर चेहरे के ऊपर एक मुखौटा लगा है 
अपनी असल पहचान छुपाने के लिए।

हर इंसान का इस्तेमाल किया जाता है 
खुद की बनाई मंज़िल को पाने के लिए।

हर कदम कांटे बिछाये हैं कई लोगों ने
तुम्हे हर मुमकिन चोट पहुंचाने के लिए।

हमदर्दी अपनापन सब पाखंड हैं यहां
मीठे हथियार हैं मकसद पाने के लिए।

मीठे लफ्जों का होता है इस्तेमाल यहां
हर हाल में अपनी बात मनवाने के लिए

गिद्ध सी नज़र लिए बैठे कई लोग यहां 
मुंह का निवाला छीन ले जाने के लिए।

कुछ कर गुजर जाने वाले नहीं टिकने यहां
मगरमच्छों की मांद है पसर जाने के लिए।

बहुत सोच समझ कर कदम रखना हे प्रदीप्त
हर कदम कांटे बिछे हैं चोट पहुंचाने के लिए।

यलग़ार : प्रदीप चौहान

         
             ना बढ़ावो हाथ किसी के लिए ज्यादा 
             लोग चढ़ने का पायदान समझ लेते हैं।

              ना रहो किसी के लिए मौजूद हर पल
              मौजूदगी से लोग बेकार समझ लेते है।

             ना जिये जीवन अपनी शर्तों पर अगर  
             लोग इस्तेमाल अधिकार समझ लेते हैं।

            कर दो अपने अधिकारों की बात अगर
            शोषक अपना अपमान समझ लेते हैं।

            सोच समझ कर कदम रखना हे प्रदीप्त
           नई पहल को लोग यलग़ार समझ लेते हैं।

                               प्रदीप चौहान

Kavi Pradeep Chauhan