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मंगलवार, 13 नवंबर 2018

सत्ता के बिसात पर देश के हालात : प्रदीप चौहान


लूट गरीबों मजदूरों की रोटियां
भर रहे व्यापारिक घरानों की तिजोरियां
आर्थिक, सामाजिक मोर्चे पर विफल
हड़प देश की सम्पति कर रहे रंगरेलियां।

पेट्रोल, गैस की कीमतें चढ़ीं आसमान
गिरते रुपए की गरिमा का नही समाधान
नोटेबंदी में छोटे व्यवसायी भये बर्बाद
देश की टूटनी अर्थव्यस्था शहती घोर अपमान।

विदेशों से कालाधन नही वापस है आया
हजारों करोड़ सफेद धन भी दे भगाया
अम्बानी अडानी भये दिन-ब-दिन मालामाल
नोटबन्दी का कुचक्र है ऐसा चलाया।

बेरोज़गार युवाओं में बढ़ती हताशा
किसानों के मौत हो रहे बेतहाशा
महंगाई से गरीब जनता का जीना दुर्लभ
न ढूंढें समाधान करें भीड़ में तमाशा।

पाकिस्तान के खिलाफ कुछ करने का नही माद्दा
कश्मीर समस्या सुलझाने का नही कोई इरादा।
धार्मिक वर्गीकरण सिर्फ वोट बैंक की राजनीति
राम मंदिर के नाम धार्मिक उत्पात को आमादा।

साधु-संतों को बारम्बार हैं उकसाते
धार्मिक भावनाओं को हरबार हैं भड़काते
बिगाड़कर देश का सांप्रदायिक माहौल
कर दंगे-फसाद भाई भाई को हैं लड़वाते।

धर्मांध जनता को अपने पीछे है लाना
गोलबंदी का मकसद सिर्फ वोट बैंक बनाना
लगाकर पुलिस , सी बी आई ,मौकापरस्त नेता
बिछाते बिसात की हर हाल में सत्ता है कब्जाना।

Kavi Pradeep Chauhan