ये कविता मेरे एक फेसबुक मित्र श्री गुलशन ठाकुर के द्धारा लिखी गई है और उनके फेसबुक पेज से ली गई है। ये कविता मेरे दिल के बहुत करीब है, इसे बार बार पढ़ने के साथ-साथ आप लोगों के साथ सांझां करने योग्य है।एक बार आप भी पढ़ें।
मैं एक लड़की हूँ
एक दर्द सा है मेरी आँखों में
जिसे ढकने की मैं कोशिश करती हूँ
क्या है कसूर इस दुनिया में मेरा
क्यों जीने को मैं पल पल मरती हूँ
हाँ हूँ लड़की मैं हूँ लड़की
ये बात ख़ुशी से कहती हूँ
मुझे नहीं चाहिए धन दौलत
न हूँ मैं पत्थर की मूरत
बस लोग खिलौना समझे मुझको
फिर देवी रूप में पूजते किसको
जो मुझको सब हैं बेटी मानें
फिर क्यों अपनों से मैं पल पल डरती हूँ
हाँ हूँ लड़की मैं हूँ लड़की
ये बात ख़ुशी से कहती हूँ
जिसने है तुमको बनाया
है उसने ही कन्या बनायी
फिर करते हो क्यों भेद जरा
ये तो सबको बतला दो भाई
जब मुझमें ही तुम देखो लक्ष्मी
फिर क्यों दहेज़ के ताने मैं
दुनिया से पल पल सहती हूँ
हाँ हूँ लड़की मैं हूँ लड़की
ये बात ख़ुशी से कहती हूँ
बस मुझे चाहिए प्यार तुम्हारा
चाहे मिले न कोई और सहारा
मानो तुम सबको एक समान
प्यार तुम्हारा पाकर देखो
कैसे बनती है बेटी महान
न बहे किसी कन्या के आंसू
बस यही प्रार्थना मैं करती हूँ
है हूँ लड़की मैं हूँ लड़की
ये बात ख़ुशी से कहती हूँ
बेटियों पर गर्व करें शर्म नहीं
(श्री गुलशन ठाकुर)