रविवार, 4 अक्तूबर 2020

हे मेहनतकश तु कब समझेगा: प्रदीप चौहान

जाती में बाँटा
उपजाती में बाँटा
बाँटा अगड़े-पिछड़े और उपनाम
निजी स्वार्थ की पूर्ति को 
ख़त्म किये नागरीक होने की पहचान
तेरे शोषण का है जाल
तेरी समानता पर प्रहार
हे मेहनतकश इंसान 
तू कब समझेगा?


धर्म में बाँटा
मज़हब में बाँटा,
बाँटा पगड़ी, टोपी और पोशाक
धार्मिक स्वार्थों की पूर्ति को
ख़त्म किये इंसान होने की पहचान
तेरे शोषण का है जाल
तेरी इंसानियत पर प्रहार
हे मेहनतकश इंसान 
तू कब समझेगा?


वोट में बाँटा
सपोर्ट में बाँटा
बाँटा भाषा, सोच और विचार
राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति को
किये तेरे अधिकारों का व्यापार
तेरे शोषण का है जाल
तेरी समझदारी पर प्रहार
हे मेहनतकश इंसान 
तू कब समझेगा?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Kavi Pradeep Chauhan