रविवार, 4 अक्टूबर 2020

मैना है ये नैना है : प्रदीप चौहान

 


मैना  है  ये  नैना  है।


परियों से भी प्यारी है

माँ की नन्ही दुलारी है

ईश्वर की श्रेष्ठ रचना सी

मैना  है  ये  नैना  है।


गुमसूम सी ये रहती है

मन ही मन कुछ कहती है

अपनी ही मस्ती में खोई

मैना  है  ये  नैना  है।


सावन की ये रैना है

सुंदर सी मृगनैना है

धिर सी गम्भीर सी

मैना  है  ये  नैना  है।


बराबरी का हक़ हो इसको 

अवसर मिलें जैसे सबको 

पैरों पे खड़ी हो रही बहना है

मैना  है  ये  नैना  है।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Kavi Pradeep Chauhan