वक़्त तु ज़ुल्म इतना ना कर
यूँ बेरहमी की इंतहां ना कर
माना लाचार हैं हम तेरी मार से
पर नहीं रुकेंगे क्षणिक हार से
जीने का जज़्बा हमें उठाएगा
हे बुरे वक़्त तु गुज़र जाएगा।
माना तैयारियाँ कम पड़ गई
अपनी ही साँसे मंद पड़ गई
आँखों में आँसुओं की धार है
शमशनों में विकराल क़तार है
जीने का जज़्बा हमें उठाएगा
हे बुरे वक़्त तु गुज़र जाएगा।
अभी तो हमने कुछ किया ही नहीं
जीवन का हर रंग जिया ही नहीं
अपनों से किए वादे अभी अधूरे हैं
कई सपने हुए ही नहीं अभी पुरे हैं
जीने का जज़्बा हमें उठाएगा
हे बुरे वक़्त तु गुज़र जाएगा।
इतनी जल्दी नहीं हारेंगे हम
हर अपने को सम्भालेंगे हम
तेरे हमलों से लड़ेंगे फिर इकबार
ख़ुद को खड़ा करेंगे फिर इक़बार
जीने का जज़्बा हमें उठाएगा
हे बुरे वक़्त तु गुज़र जाएगा।
हे बुरे वक़्त तु गुज़र जाएगा।
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