शुक्रवार, 15 जून 2018

पानी पाना है यहां जंग जितने जैसा: प्रदीप चौहान

 पानी पाना है यहां जंग जितने जैसा 

Pani ki samasya
Water Problem in Delhi
                                       
जगमगाती दिल्ली का ये रूप कैसा,
पानी पाना है यहां जंग जितने जैसा! 
सबको बुनियादी हक भी जहां मिलते नहीं, 
झुग्गियां हैं वोटबैंक, पॉलिटिक्स और पैसा !! 

जागें हर सुबह मन पर बोझ लादे 
पानी है आज पाना बस यही जोर जागे!
मस्तिष्क रहे सचेत, आखें हरदम टेंकर को ताकें
 रखें कान खड़ा हर आवाज टेंकर की आहट सा लागे !!

लिये टंकी बाल्टियां चल पड़ें सब रोड पर 
लटकाये कंधों पर पाइपे, रहें घंटो खडे़ पानी की खोज पर 
कभी ताकें अपने बर्तन तो, कभी उमडी़ भीड़ भाड़ को,
सुन हौरन सब दौड़ं चले चढ़ने पानी की ताड़ पर !!

मचे भगदड़ ऐसे, भीड़ भागे आंधी के जैसे 
बच्चें औरत व जवान ले दौड़े सब अपना सामान !
बर्तनों का नगाड़ा बाजे, शोर हूँकारे बेशुरी तान, 
पाइपों से खिंचतान जैसे अमल हो लुट का फरमान !!

पाइपों में आया पानी जब भगने लगे 
अधभरे बर्तन देख अफसोस की लकीरें जगें।
मुश्किल से ढुँढे़ सब अपने खोये हुए बर्तन,
 बिल्कुल ना पाने वालों के आंसू छुटने लगे!!

चुनाव का मुददा यही होता है बार-बार 
भरपूर शु़द्ध गंगाजल, घर-घर मिलेगा अबकी बार 
उम्मीदवार बदलें, पार्टी बदली, बदली पुरी सरकार 
ना झुग्गियों के हालात बदलें, ना पानी की ये हाहाकार !!

पानी की ये किल्लत नासुर बन बैठा 
सुखे में सारा बचपन, जवानी भी सुखार जैसा 
कचोटे है यहां बसने की मजबुरी हरपल 
जीवन लगे है यहां अब नर्क के जैसा !!

अब तो ये सौगन्ध आओ खायें
 भावी पीढी को सब मिलकर बचायें !
 शोषण व भ्रष्टाचार मुक्त सामाज के लियें
चलें  क्रांति की राह पर और सता अपने हाँथ में लायें !!

जगमगाती दिल्ली का ये रूप कैसा
पानी पाना है यहां जंग जितने जैसा !
सबको यहां बुनियादी हक भी जहां मिलते नहीं 
झुग्गियां बनी वोटबैंक, पॉलिटिक्स व पैसा !!
                                      
   प्रदीप चैहान          

8 टिप्‍पणियां:

  1. Aapki line ma sachai hai, sach likhte hai aap
    जगमगाती दिल्ली का ये रूप कैसा
    पानी पीना है यहां जंग जितने जैसा !
    सबको यहां बुनियादी हक भी जहां मिलते नहीं
    झुग्गियां बनी है वोट बैंक, पालिटीक्स व पैसा !!

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  2. Bahot Achhi kavita hai, aapne to puri sachai dikha diya hai is kavita me. Ye delhi ke har illake ka haal hai aajkal

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Kavi Pradeep Chauhan