मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

इंसानियत का संहार : प्रदीप चौहान


इंसानियत का संहार

कुछ हिन्दू बन रहे 
कुछ मुसलमान बन रहे
भूलकर इंसानियत
ये शैतान बन रहे।

कुछ के निजी स्वार्थ हैं
कुछ का अपना इरादा है
मिटाकर आपसी भाईचारा
धार्मिक उदंड पे आमादा हैं।

कुछ के वोट हिन्दू हैं
कुछ के मुसलमानों का व्यापार हैं
वोट बाँट कि भ्रष्ट राजनिती में
कर रहे इंसानियत का संहार हैं।

अगर नहीं रोका इन्हें
तो उत्पात ये मचाएँगे
इंसानियत की चितावों पर
ये रोटियाँ पकाएँगे।

किया आँखो को बंद जिन्होंने
समस्या विकराल और बनाएँगे
मचेगा हैवानियत का तांडव अगर
अछूते वो भी नहीं रह पाएँगे।

आँखों में बसा जिनके क़ौम है
देखकर ये चिंगारी जो आज मौन हैं
वक़्त के गुनहगार वो कहलाएँगे
इंसानियत की मौत पर आँशु बहाएंगे।

Kavi Pradeep Chauhan