शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

सावधान, हम हैं किसान : रोशन सिंह

सावधान, हम हैं किसान!

सीमा पर जो डटे हैं जवान 
याद रखो हमारी ही हैं संतान
ह से हल और ह से हथियार 
ये दोनों ही हैं हमारी पहचान!

खेतों में और सीमा पर होते जो कुर्बान,
तुम्हारे कारखानों, खदानों और गोदामों में,
जो अपना जीवन करते हलकान 
ये सब के सब हमारी ही संतान।

ठिठुरती पूस की रात में गेहूं को सींचती,
जेठ में कड़ाके की धूप से चाम जलती,
सीमा पर अपनी जान भी गंवाती,
खलिहानों में भूखी रहकर
तुम्हारी भूख मिटाने का सामान भी बनाती,
ये जान लो कि, 
वो भी है हमारी ही संतान।
 
हमारी संतानों के कंधों पर चढ़कर
देश बनेगा विश्व गुरु और महान,
फिर भी तुम्हारी सत्ता करती है,
हमारी संतानों का अपमान।

पूंजी और सत्ता का गठजोड़ बना
लूटते हो हमारी मेहनत का वरदान
लूटे तुमने मजदूरों के वेतन
चढ़ा है तुम्हे पूंजी के घमंड,
तभी तो तुम करते हो सबका दमन।

अब!
बर्दाश्त नहीं होगा ये अपमान!
जल्द ही छीनेंगे, तुमसे अपना सम्मान!
याद रखो, वे सब होंगे कहीं न कहीं,
मेरी ही संतान

रोशन सिंह

बुधवार, 1 सितंबर 2021

Kavi Pradeep Chauhan