जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए मिर्मम आतंकी हमले में जवानों के शहीद होने की बेहद ही दुःखद ख़बर से आहत और जवानों की सुरक्षा में असफलता के कारण उपजे कुछ प्रश्नों को इस कविता के ज़रिए उठाने की कोशिश की गई है।
वीर जवानों की शहादत को कोटि-कोटि नमन।
वीर जवानों की शहादत को कोटि-कोटि नमन।
भिगोकर ख़ून में वर्दीयां
माताओं के लाल सोते रहेंगे
लिए मुल्क की मोहब्बत सच्ची
कई बेटे खोते रहेंगे
क्या सिलसिले-ए-शहादत
कड़ियाँ यूँ ही संजोते रहेंगी
बताओ ये मुल्क के आकाओं
कब तक शहादतें होती रहेंगी?
माँ जिन्हें लोरियाँ सुनाती हैं
कलाई जिनकी बहनें सजाती हैं
पिता जिन्हें चलना सिखाते हैं
भाई जिनको हँसते हँसाते हैं
क्या पंचतत्व में हो विलीन
आँखें अपनों की यूँ ही रोती रहेंगी
बताओ ये मुल्क के आकाओं
कब तक शहादतें होती रहेंगी?
पत्निया जिनके लिए श्रिंगार करती हैं
बिन्दी सिंदूर से माँग सजती हैं
तीज करवाचौथ उपवास रखती हैं
देख टुकड़े शरीर बेआवाक घुटती हैं
क्या तोड़ मंगलसूत्र सुहाग चूड़ियाँ
बन विधवा यूँ ही विलापती रहेंगी
बताओ ये मुल्क के आकाओं
कब तक शहादतें होती रहेंगी?
नन्हे नौनिहालों की लंगोटिया जाती रहेंगी
छोटी छोटी बेटियों की चोटियाँ जाती रहेंगी
विस्फोटों से जिस्म की बोटियाँ जाती रहेंगी
दर्जनो घरवालों की रोटियाँ जाती रहेंगी
क्या यूँ ही इस हैवान सियासत में
अपनों की अनमोल क़ुर्बानियां जाती रहेंगी
बताओ ये मुल्क के आकाओं
कब तक शहादतें होती रहेंगी?
Awoseme thought....aakhir kab tak shahadatey hoti rahengi...
जवाब देंहटाएंThank you, and thanks for your consistent visit and Appreciation
हटाएंJai Hind sir
जवाब देंहटाएंAnd very important question to our country.
Aakhir kab tak hum yuhi Apne heroes ko khote rahenge
Yes, aakhir kab tak hum yuhi apne heroes ko khote rahenge...,
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