बुधवार, 25 अगस्त 2021
शनिवार, 5 सितंबर 2020
मैं शिक्षालय हुँ : प्रदीप चौहान
बेटियों को पढ़ाया
बहनों को निर्भर बनाया
माताओं को सम्मान दिलाया
परिवारों में जागरुकता फैलाया
हज़ारों सपनों को साकार बनाया
और लाखों नए सपनों के लिए
मैं चलना चाहती हुँ
मैं चलते रहना चाहती हुँ
अनाथों को अपनाया
बेसहारों को सम्भाला
असहायों का साथ निभाया
लाखों को शिक्षित बनाया
ये कर्तव्य रहा है मेरा
ये पहचान रही है मेरी
अपनी इसी पहचान के लिए
मैं चलना चाहती हुँ
मैं चलते रहना चाहती हुँ
मैं वही हुँ
जहाँ तुम्हारी ढेरों यादें जुड़ी हैं
यादें तुम्हारे बचपन की
यादें तुम्हारे लड़कपन की
दोस्ती के बड़प्पन की
यादें तुम्हारे पढ़ने की
यादें तुम्हारे खेलने की
साथियों के लंच लुटने की
वैसी ही हज़ारों नयी यादों के लिए
मैं चलना चाहती हुँ
मैं चलते रहना चाहती हुँ
आप जैसे अपनों के लिए
लाखों असहाय सपनों के लिए
भटकों को राह दिखाने के लिए
मजबूरों का साथ निभाने के लिए
बेसहारों के सहारे के लिए
शिक्षा रूपी उजाले के लिए
मैं चलना चाहती हुँ
मैं चलते रहना चाहती हुँ
मुझे ज़रूरत है
मेरे अपनों की
नए विचारों की
नए नवाचारों की
नए पहल की
क्योंकि मेरे अपनों के लिए
लाखों नए सपनों के लिए
मैं चलना चाहती हुँ
मैं चलते रहना चाहती हुँ
मैं शिक्षालय हुँ।
मैं दीपालय हुँ।
मैं विध्यालय हुँ।
-
क्षेत्रिय घेराव बना बिहार की मजबूरी समुन्द्र तट न होना है बड़ी कमजोरी नही अंतराष्टीय जान पहचान न कोई व्यापारिक आदान प्रदान स...
-
रोज़गार व बेहतर ज़िंदगी की तलाश मे न चाहकर भी अपना घर परिवार छोड़कर शहरों मे आने का सिलसिला वर्षों से चलता आ रहा है। पलायन करने वाले हर व्य...
-
Water problem in slum दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में पीने के पानी की समस्या वहाँ की सबसे बड़ी समस्या है। यहां युवाओं का झुंड आंदोलित है...