Kavi Pradeep Chauhan |
Kavi Pradeep Chauhan |
बचपन की वो यादें हसीन थीं
दोस्तों के साथ वो बातें हसीन थीं।
उनकी खुशी में खुश रहते थे हम
उनकी दुःख में दुःखी रहते थे हम
तो फिर ये मोड़ कैसा था
जिसमे होना पडा जुदा हमे
पता तो था की मिलेंगे दोस्त हर मोड़ पर
लेकिन स्कुल की तो बातें
कुछ और थी
की वो दोस्त पुराने थे
निराले थे
दील लगाने वाले थे
बात चीत कर के हर मुश्किल को सुलझाने वाले थे
इस लिए तो वह दोस्त हमारे थे।
बचपन की वो यादें हसीन थीं
दोस्तों के साथ वो बातें हसीन थीं।
एक ख्वाब देखा,
जिसे पूरा करना है|
एक सपना है
जिसे अधूरा नहीं छोड़ना है |
रुकावटें तो कई आऐंंगी और जाएंगी
पर झुकना नहीं है|
एक सपना है
जिसे पूरा करना है|
एक ख्वाब देखा
जिसे पूरा करना है|
कहने वाले खुब कहेंगे,
पर सूनना नहीं है|
चाहे जितनी भी बार गिरे ,
खड़े होकर लक्ष्य को पाना है
साथ में खड़े हैं अपने,
जितनी भी बार गिरे हैं|
मेहनत कर
उस ख्वाब को पूरा करना है|
एक ख्वाब देखा
जिसे पूरा करना है |