Kavi Pradeep Chauhan |
छिन गई तेरी रोज़ी रोटी
छिन गई तेरी पहचान
हे मेहनत की खाने वाले
लुट गया तेरा सम्मान
लाइनों में लग तु हाँथ फैलाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
तेरी मेहनत ने लोगों के घर बनाए
खून पसीनों से तूने महल सजाए
ख़ुद की छत के लिए जीवन भर तरसे
बेघर तेरा जीवन, बेघर तेरी क़िस्मत
तू बेघर ही मर जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
भगौड़ों के हज़ारों करोड़ माफ़ हो जाते
अमीरों को प्राइवेट जेट ले आते
तुम भुखमरी के मारो से
किराए वसूले जाते लाचारों से
चाहे पड़ जाते तेरे पैरों में छाले
हज़ारो मिल तु पैदल ही चलता रे
भूखा-प्यासा तु रास्ते में ही मारा जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
अर्थव्यवस्था की रफ़्तार के लिए
चंद घरानों के व्यापार के लिए
तुझे घर भी नहीं जाने दिया जाता है
तेरी मज़दूरी को मार कर
तेरे अधिकारों का संहार कर
तुझे बंधुआ मज़दूर बनाया जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
महामारी तेरा काल बन बैठा
सुविधावों की कमी जंजाल बन बैठा
ऑक्सीजन की कमी से तेरी सांसें थमती
संसाधनों के किल्लत से तेरी आँखें नमति
ये सिस्टम तेरा सब कुछ लूट ले जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
सुविधावों की कमी जंजाल बन बैठा
ऑक्सीजन की कमी से तेरी सांसें थमती
संसाधनों के किल्लत से तेरी आँखें नमति
ये सिस्टम तेरा सब कुछ लूट ले जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
अब भी वक्त है जाग जाना होगा
हालातों का ज़िम्मेदार कौन पहचानना होगा
मृत सिस्टम का, क्यों नहीं करता तू उपचार है
हो एकजुट, की व्यवस्था परिवर्तन की दरकार है
सब समझकर भी तू चुप हो जाता है
हालातों का ज़िम्मेदार कौन पहचानना होगा
मृत सिस्टम का, क्यों नहीं करता तू उपचार है
हो एकजुट, की व्यवस्था परिवर्तन की दरकार है
सब समझकर भी तू चुप हो जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
Bahut hi sundar kavita hai
जवाब देंहटाएंNice one bhai
जवाब देंहटाएंNice
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