कहीं आँक्सीजन की कालाबाज़ारी
कहीं बिलखती साँसों का व्यापार
बेबस जीवन का होता मोलभाव
दम तोड़ते इन्सान हैं लाचार
चंद रुपयों की ख़ातिर
हैवान ना बनते जाओ यारो।
इंसानियत रहेगी
तो इंसान रहेंगे।
इंसानों को बचावो यारो।
कहीं इंजेक्शन की कालाबाजारी
कहीं दवाइयों का भ्रष्ट व्यापार
दर दर भटक रहे बेबस इंसान
लुट खसोट का फल रहा बाज़ार
चंद सिक्कों के ख़ातिर
अपने ज़मीर को न दफ़नावो यारो।
इंसानियत रहेगी
तो इंसान रहेंगे।
इंसानों को बचावो यारो।
अस्पताल बेड्स से बिका घरौंदा
एम्बुलेंस ने बचा कुचा भी रौंदा
ज़िंदा इंसानों को नोंचते ये गिद्ध
शमशान की लकड़ियों का करते सौदा
लालची मंसूबों के ख़ातिर
नरभक्षि ना बनते जाओ यारो।
इंसानियत रहेगी
तो इंसान रहेंगे।
इंसानों को बचावो यारो।
मेरा देश मर रहा है।
बद-इंतज़ामी से जल रहा है
सुलग रही चितायें हर तरफ
बिलख रही आत्माएँ हर तरफ
बेबस लाचार हर इंसां यहाँ
अव्यवस्था की सुली चढ़ रहा है।
राजनीतिक आकांक्षाओं के ख़ातिर
मौत का तांडव न मचावो यारो।
इंसानियत रहेगी
तो इंसान रहेंगे।
इंसानों को बचावों यारों।
प्रदीप चौहान
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