रविवार, 29 अगस्त 2021

पहचान : प्रदीप चौहान

कभी बेटा तो कभी भ्राता बन जाता हूं। 

कभी पति तो कभी पिता कहलाता हूं। 

कर्ज़ व फ़र्ज़ निभाते कई किरदार मेरे। 

पर खुद को कभी नहीं पहचान पाता हूं। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Kavi Pradeep Chauhan