ख़बरों का व्यापार हो रहा,
लोगों का विश्वास खो रहा।
मेन स्ट्रीम मीडिया सो रहा,
सत्ता की ग़ुलामी में खो रहा।
पत्रकार स्वाभिमान को रो रहा,
पत्रकारिता पहचान को रो रही।
खोई उसी पहचान के लिए,
ख़बरों के हिंदुस्तान के लिए,
क़लम को हथियार बनाना होगा।
सिटीज़न जर्नलिज़्म अपनाना होगा।
लोकतंत्र के बचाव के लिए,
सत्ता पर दबाव के लिए,
शक्ति के नियंत्रण के लिए ,
दबे कुचलों की आवाज़ के लिए,
जनता के विश्वास के लिए,
देश के सम्मान के लिए,
ख़बरों के हिंदुस्तान के लिए,
क़लम को हथियार बनाना होगा।
सिटीज़न जर्नलिज़्म अपनाना होगा।
सिटीज़न जर्नलिज़्म अपनाना होगा।
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