भगौड़ों के हज़ारों करोड़ माफ़ हो जाते
अमीरों को प्राइवेट जेट ले आते
तुम भुखमरी के मारो से
किराए वसूले जाते लाचारों से
चाहे पड़ जाते तेरे पैरों में छाले
हज़ारो मिल तु पैदल ही चलता रे
भूखा-प्यासा तु रास्ते में ही मारा जाता है
हे मज़दूर तेरी कैसी ये गाथा है।
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